शानदार विकास: वेलोड्रोम, पुराने चमारतिन स्टेडियम के पहले की कहानी
शहर के लोगों के लिए घर बनाने के लिए ओ'डोनेल की ज़मीन को बेच दिए जाने के बाद रियाल मेड्रिड को एक
नए स्टेडियम की तलाश थी। सन् 1923 में क्लब की जो ज़रूरतें थी उसके हिसाब से सिउदाद लिनेल पर वेलो
ड्रोम एक सही विकल्प था। वेलोड्रोम की रूपरेखा बनाने वाले अर्तुरो सोरिया ने इसे फुटबॉल की ज़रूरतों के हि
साब से बना दिया, और यह पहला ऐसा मैदान था जिस पर घास थी और 8,000 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था
थी। परन्तु मैदान जितना भी बड़ा था और उसमें जितनी भी सुविधाएं थी, उस तक पहुँच पाना कठिन था। एक
साल के बाद रियाल मेड्रिड ने सिउदाद लिनेल छोड़ कर चमारतिन स्टेडियम बना लिया।
सन 1923 में मध्य क्षेत्र का खिताब जीतने के बाद रियाल मेड्रिड ने ओ'डोनेल का मैदान छोड़ने का संकल्प लि
या और एक और भी बड़ा मैदान तैयार करने का बीड़ा उठा लिया। एक साल ही में पुराना चमारतिन स्टेडियम
बन कर तैयार हो गया। एक ऐतिहासिक स्थान जहां पर 15,000 दर्शक बैठ सकते थे, उसे रियाल मेड्रिड ने अ
गले 23 सालों के लिए अपना घर कहा। रियाल मेड्रिड ने इस मैदान पर अपना आगाज़ जीत के साथ किया, उ
स समय की एक बड़ी टीम न्यूकासल के खिलाफ 3-2 से जीत कर।
इस सबके पीछे हाथ था कार्लोस लोपेज़-
केसादा का, जो कि रियाल मेड्रिड के लिए खेल भी चुके थे और क्लब के लिए एक अधिकारी भी रह चुके थे। नि
र्माण का ज़िम्मा सौंपा गया था होसे मारिया कास्टल को। करीबन 4,000 दर्शकों के बैठने की व्यवस्था के साथ
साथ छत का निर्माण, और भी कई सारी सुविधाएं शामिल की गयीं थी निर्माण कार्य में। पर नए स्टेडियम का
नाम क्या रखा जाये, इस पर एक विवाद सा खड़ा हो गया। एक समूह चाहता था की इसे 'पार्क डी स्पोर्ट्स डी
रियाल मेड्रिड' कहा जाये, और दूसरा कह रहा था की इसे 'कैंपो डेल रियाल मेड्रिड फुटबॉल क्लब' बुलाया जाये।
दर्शकों ने अपना अलग ही नाम रख लिया था इस जगह के लिए, जो की 'चमारतिन' कहलाया जाने लगा। चमा
रतिन एक आधिकारिक नाम नहीं था, पर इसे हमेशा इसी नाम से जाना गया।